ZOHO Success Story, Shridhar Vembu

Success Story: किसान के बेटे की कंपनी कमाती है 2800 करोड़ सालाना, आज भी घूमता है साइकिल पर

बिज़नेस करना तो हम सभी चाहते हैं, पर हम बात-बात पर बहाने ढूँढ़ते हैं। कभी बिज़नेस शुरू करने के लिए निवेश को लेकर, कभी कर्मचारी को लेकर या इसके अलावा और भी कई बातें हमारे दिमाग में आती हैं। लेकिन आज की यह सफलता और संघर्ष की कहानी जानने के बाद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या इस तरह से भी कोई बिना किसी निवेशक के 9000 करोड़ सालाना रेवेन्यू वाली कंपनी बना सकता है।

इस कहानी में हम जानेंगे श्रीधर वेम्बू (Shridhar Vembu) के बारे में, जिनकी नेटवर्थ लगभग 49000 करोड़ होने के बावजूद भी वह आज भी साइकिल से चलते हैं और बहुत ही सादगी से साधारण जीवन जीते हैं, और अपने गांव में रहकर ही अपना बिज़नेस चलाते हैं। साथ ही इस लेख के अंत में हम आपको जोहो के बारे में कुछ ऐसे सच बताएंगे कि क्यों जोहो पूरे देश का सबसे अनोखा स्टार्टअप है और भी कुछ ऐसी बातें जो जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

श्रीधर वेम्बू का जन्म 1968 में तमिलनाडु के एक छोटे से गांव थंजावुर में हुआ था। इनके परिवार में सभी खेती करते थे और उसी से घर चलता था। कुछ समय बाद श्रीधर वेम्बू के पिता साम्बमूर्ति वेम्बू (Sambamurthy Vembu) चेन्नई चले गए और वहां के हाई कोर्ट में आशुलिपि-लेखक का काम किया। उसी दौरान श्रीधर ने JEE की परीक्षा दी और पूरे भारत में 27वीं रैंक हासिल कर IIT मद्रास में दाखिला लिया।

ये अपने परिवार के पहले व्यक्ति थे जो स्नातक (ग्रेजुएट) होने जा रहे थे। IIT मद्रास में इन्होंने अपना विषय इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग चुना। इनका लक्ष्य था कि वैज्ञानिकों की तरह कुछ रिसर्च करेंगे, कुछ बनाएंगे या पढ़कर प्रोफेसर बन जाएंगे। पर IIT जैसे कॉलेज में होने के बावजूद भी, इनकी रुचि के हिसाब से सब फीका सा लग रहा था। फिर भी इन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री IIT मद्रास से पूरी की।

पहली नौकरी और करियर की शुरुआत

पर उनके अंदर कुछ अलग करने की भूख थी, तो बिना रुके उन्होंने और आगे पढ़ने का सोचा और अमेरिका चले गए, जहां के Princeton University में दाखिला लिया। उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से Ph.D. की और डॉक्टर की उपाधि ली, पर कुछ अलग करने की भूख ऐसी थी कि श्रीधर को यहां भी संतुष्टि नहीं मिली। हालाँकि अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें एक काफी अच्छी कंपनी में नौकरी भी मिल गई, जिसका नाम Qualcomm था।

गांव में वापसी और ज़ोहो(ZOHO) की नींव रखने का फैसला

नौकरी करते हुए इन्हें लगभग 2 साल हो गए थे, तभी उनके भाई ने कहा कि अपने भारत में एक कंपनी शुरू करते हैं, जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा और देश का नाम होगा। यह विचार पहले से ही श्रीधर के मन में था कि देश के लिए कुछ करना है। फिर ये भारत वापस आए और अपने भाई के साथ एक छोटे कमरे में ऑफिस बनाकर वहां से एक कंपनी शुरू की, जिसका नाम एडवेंटनेट (AdventNet) था।

जब इन्होंने बिज़नेस शुरू किया, तो सोचा था कि हार्डवेयर, यानी मशीन जैसी चीजें बनाएंगे और उन्हें बेचेंगे। पर काफी कोशिश करने के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगी, और उनकी अपनी पूंजी भी खत्म होने लगी थी। तब इन्होंने सॉफ्टवेयर बनाने का निर्णय लिया, क्योंकि उन्हें उसकी जानकारी थी और इसमें ज्यादा पूंजी की भी आवश्यकता नहीं थी।

ग्लोबल मार्केट में ज़ोहो की सफलता

अब उन्होंने सॉफ्टवेयर बनाना शुरू कर दिया था और एक्सिबिशन में जाकर अपने सॉफ्टवेयर के बारे में लोगों को बताते थे। वहीं एक जापानी कंपनी ने उन्हें एक खास तरह का सॉफ्टवेयर बनाने को कहा, और उन्होंने जवाब दिया कि हम बना सकते हैं। फिर, उस समय 1998 में उन्हें सबसे बड़ा ऑर्डर मिला और कंपनी का सालाना रेवेन्यू धीरे-धीरे 2 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। उसी समय, एक कंपनी उनकी कंपनी को खरीदना चाहती थी और 25 मिलियन डॉलर देने को तैयार थी, पर उन्होंने मना कर दिया।

कैसे ज़ोहो बना आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

श्रीधर वेम्बू ने अपनी कंपनी के लिए कभी कोई लोन या निवेश नहीं लिया। वे खुद से कमाए हुए पैसे ही लगाकर प्रोडक्ट्स बनाते और मुनाफा कमाते थे। उनका मानना था कि कंपनी के पास हमेशा कैश होना चाहिए, और इस प्रकार वे आत्मनिर्भर रहते थे। यही कारण है कि जोहो आज भारत का सबसे प्रॉफिटेबल स्टार्टअप है। कंपनियां तो बहुत बड़ी-बड़ी हैं, पर सब फंडिंग और लोन के पीछे भागकर नुकसान में चल रही हैं।

जोहो के ग्राहक (Clients)

श्रीधर वेम्बू और जोहो ने आज वो मुकाम हासिल किया है कि फार्च्यून 500 कंपनियों में से 300 से ज्यादा कंपनियां आज श्रीधर वेम्बू से कंसल्टिंग लेती हैं। वहीं, बात करें जोहो के क्लाइंट्स के बारे में तो नीचे बड़ी कंपनियों की एक सूची है, उसे देखिए।

  • Apple
  • Netflix
  • Amazon
  • Dell
  • FedEx
  • Puma
  • Philips
  • Hyundai
  • Toyota
  • Stanford University

श्रीधर वेम्बू क्यों है औरों से अलग

वैसे तो इस पोस्ट में आपने कई कारण पढ़े, लेकिन उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी के बारे में कुछ ऐसी बातें भी हैं जो आपको जाननी चाहिए।

हजारों करोड़ के मालिक होने के बावजूद भी श्रीधर आज भी साइकिल से चलते हैं और लुंगी पहनते हैं। इतना ही नहीं, वे रोजाना तालाब में नहाते हैं, जो अनाज और सब्ज़ियां वे खाते हैं, उसे खुद अपने खेतों में उगाते हैं। उनका कहना है कि पैसा मेरे पास है, जो अच्छी बात है, पर मुझे इस तरीके से जीवन जीना पसंद है।

जोहो कंपनी अपनी कोई मार्केटिंग नहीं करती; इसका सारा व्यवसाय रेफरल और मौखिक प्रचार से आता है। जोहो के पुराने ग्राहक ही नए ग्राहक लाते हैं। उनका मानना है कि चीज़ अच्छी बनाओ, लोग खुद उसके बारे में चर्चा करेंगे।

श्रीधर वेम्बू की प्रेरणादायक कहानी से सीख

इस कहानी से सीखने को बहुत सारी बातें हैं, पर कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें हम अपने असल जीवन में अपनाकर अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।

  1. शिक्षा के लिए हमें सिर्फ स्कूल और कॉलेज पर निर्भर नहीं रहकर खुद से कोशिश करनी चाहिए, तो हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।
  2. कंपनी शुरू करने के लिए हमें बड़ा और सुंदर ऑफिस किसी बड़े शहर में होना जरूरी नहीं है। शुरुआत अपने घर के एक छोटे से कमरे से भी हो सकती है, बस लगन होनी चाहिए।
  3. व्यापार शुरू करने के लिए हमें निवेशक का इंतजार नहीं करना चाहिए; कम पूंजी से नींव रखी जा सकती है।
  4. भले ही आप अपने कार्यक्षेत्र के माहिर हैं, पर इसका मतलब यह नहीं कि पूरी कंपनी आप अकेले चला सकते हैं। काम के अनुसार हमें लोगों की भी जरूरत होती है, अगर हमें काम को बड़ा बनाना हो तो।
  5. अगर आप अच्छे समय में अपने कर्मचारियों के साथ मिलकर पैसे कमा रहे हैं, तो बुरे समय में उन्हें अपना साथी मानें। अगर वे हैं, तो उनसे ही कंपनी फिर से पैसे कमा लेगी।

निष्कर्ष

श्रीधर वेम्बू की प्रेरणादायक कहानी यह दर्शाती है कि व्यवसाय शुरू करने के लिए हमें न तो किसी बड़े निवेश की आवश्यकता होती है और न ही बड़े ऑफिस की। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि लगन, समर्पण और सही उद्देस्य से किसी भी छोटे काम को बड़े स्तर पर ले जाया जा सकता है। शिक्षा केवल औपचारिक संस्थानों तक सीमित नहीं है; हमें खुद से सीखने का प्रयास करना चाहिए।


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